नैतिक मूल्य का अधिष्ठान अभय प्रभावना

*स्वानंद साहित्य भिशी , स्वानंद महिला संस्था*                   
          
दि.10/1/2025.

*नैतिक मूल्य शिक्षण का अधिष्ठान - अभय प्रभावना*
       आदरणीय सन्माननीय संस्थापक अभयजी फिरोदिया आपको सादर जयजिनेन्द्र...! 
सरल मना, ज्ञान प्रवीण, कार्य कुशल, मानवता का मंदिर समाज मे उभारणे हेतू आदरणीय अभयभैय्या आपने हृदयसमृद्ध, शांत, शितल, सौम्य भाव तरंगों से  जैन साहित्य का सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह का ये नारा आपने अनुपम ऐसे अभय प्रभावना निर्माण करके जिनशासन को समर्पित किया है । ये प्रोजेक्ट पुरे मानव जाती को मानवता बढाने हेतू महत्वपूर्ण लग रहा है। 
अनंत काल से 23 तीर्थंकरोने जो कहा और अडीच हजार वर्ष पूर्व प्रभू महावीर स्वामींनें तत्कालीन समाज को 18 बुरायों से पापों से  मुक्त होकर जीवन सुरक्षा का मार्ग दिया।  प्रॅक्टिकल बताके आपने अनंत काल से आये हुए विविध बुरायों पर मात करणे हेतू किया हुआ ये अभय प्रभावना प्रोजेक्ट बढा ही चिंतनशील और जीवन मे मानवता दृष्टिकोन राष्ट्र हित चिंतन करने वाला है। 
तीर्थंकर ऋषभ भगवान ने श्रावकोंन के लिये निर्माण कि बहात्तर कला और श्राविका के लिए निर्माण की 64 कला का विवरण बडे ही कला पूर्वक दिखाया है। मिथ्यत्व के अंधार को दूर भागाकर सम्यकत्व का मार्ग प्रशस्त करणे हेतू अपना जीवन सफल बनाने हेतू तीर्थंकरों ने दिया हुआ संदेश आपने बहुखुबी निभाया है। ओरोंको निभाने को,प्रेरित करणे हेतू गॅलरी नंबर तीन और चार बहुत ही प्रशस्त लगी। 
अपने भूतकाल मे कार्य किये हुये महान हस्तियों की जानकारी देते हुए और अभी वर्तमान मे भी कार्य करणे वाले (24 तीर्थंकरों का संदेश आपने कृती से जनमानस तक पहुंचाने वाले) हमारे श्रद्धास्थान अपनी कटारिया की बिटिया पद्मश्री परमपूज्य चंदनाजी महाराज साहेब, एवम अपनी रायसोनी की बिटिया भुवाजी महाराज साहेब परमपूज्य वाणीभूषण संस्कारभारती प्रीतीसुधाजी इनका किया हुआ उल्लेख,उनकी प्रतिमाये मन को प्रशस्त कर गई। 
मानवता का मंदिर उभारणे वाले हमारे श्रद्धास्थान शांतीलालजी मुथा (भाऊ )इनका भी वहा फोटो देख के खुद को गौरवान्वीत करते हुए आगे बढे। तो आगे हमारी अध्यापिका डॉ.नलिनीजी जोशी का  फोटो के साथ नाम उल्लेख मिला। जैन फिलॉसॉफी के इस अक्षय संपत्ती को आप जैसे  भाग्यवान, पुण्यवान आत्माने निर्माण किया है। 
ये जगत का बडा महत्वपूर्ण देखने लायक, जीवन मे उतारने लायक अविस्मरणीय कार्य आपके हाथ से हुआ है। शोधनिबंध, शोधप्रबंध लिखने वालों को ये बढा ही मार्गदर्शक,पथदर्शक होगा। अभ्यासको के लिए यहा जैन युनिव्हर्सिटी होना बहुत जरुरी है। म्युझियम मे भारत की सभी जैन तीर्थ का दर्शन हुआ सब व्हिडिओ, ऑडिओ, पोस्टर्स, फोटोज ,मंदिर की प्रतिकृती, थोर संतो के विचार सुनके ऐसा महसूस हुआ सर्व धर्म समभाव का भगवान महावीर का संदेश अनेकांतवाद कृती मे आपने लाया है। बालक वर्ग, युवक वर्ग के लिए नैतिक मूल्य का अधिष्ठान रखने हेतू विविध कार्यक्रम का नियोजन पाठशाला, महावीर कॉलेज इस का प्रॅक्टिकल दिखाने हेतू ये म्युझियम महत्वपूर्ण है। 
       हमे कहने में खुशी हो रही है। इस प्रोजेक्ट के लिए हमारे रांजणगाव गणपती के छोटे गाव से आये हुए शांतीलालजी सदाबाई धाडीवाल के परिवार से आये हुये प्रदीपजी धाडीवाल इनका इस प्रोजेक्ट का काम करने के लिए अपने उनको मौका दिया और उन्होने बहूखुबी तन, मन, सेवा से निभाया। हमारे गाव का बेटा होने के नाते हमे प्राऊड फील होता है। इस अभयप्रभाना को देख के उसका चिंतन करके हमे आत्मानंद की अनुभूती मिली । तत्त्वज्ञान कि 
अक्षय संपत्ती को चोर डाकू लूट नही सकते, लेकिन ये देखने के बाद ऐसे बुरे कर्म करने वाले निश्चितही सत मार्ग पर आयेंगे पुरा विश्वास होता है। 
अभय भैय्या हमे याद आ गई जब आपके पिताजी आदरणीय नवलभाऊ फिरोदिया एवं उमेदमलजी पुंगलिया रांजणगाव गणपती आये थेl जब परमपूज्य मधुस्मिताजी महाराज साहेब धर्मप्रचार के लिए फॉरेन जाने के पहले रांजणगाव गणपती के जैन स्थानक मे आये थे।तभी का वह प्रसंग की मुझे याद आ गई। वह प्रसंग ऐसा रहा बिलकुल स्थानक के सामने हमारा कटारिया परिवार का घर। उस घर मे लगभग आठ से दस फूट का नाग हमारे बैठक हॉल मे निकला था। गदी के पीछे लोड के बाजू से जा रहा था । श्याम के साडेपाच बजे थे सब गाव के लोग नाग को मारने के लिए आ रहे थे। लेकिन परमपूज्य मधु स्मिताजी महाराज साहेब,मंगल प्रभाजी महाराज साहेब विहार करके रांजणगाव गणपती मे आये थे । इन्होने उस नाग को ओम घंटा कर्ण मंत्र कह के जिस होल से आया थाल उस होल मे वापीस जाने के लिए प्रेरित करके उसकी हानी ,हत्या से हमे  बचाया था। 
तभी आदरणीय नवलभाऊ जैन स्थानके आंगन में परमपूज्य गुरु महाराज की राह देखते हुए ये सब देख रहे थे।कितना साधा सीधापण ,ये कितने गुरू प्रति श्रद्धा और जीवदयाप्रती आपणत्व हमे दिखाई दिया। वही काम अभय भैय्या आप कर रहे हो। जरूर आपकी आत्मा पूर्वभव में राजवंश मे होगीl और आपको तीर्थंकर का सानिध्य मिला होगा। क्योंकी समाज में पैसे वालों की कमी नही है। लेकिन उस संपत्ती का विनीयोग हमारे जिनवाणी के लिए, समाज के लिए, मानवता का मंदिर उभारणे हेतू आप जो कर रहे है वो अनंत कालतक सबको अच्छा जीवन बिताने हेतू उपयुक्त रहेगा। अभय प्रभावनामे आत्मा आनंद की अनुभूती मिली। पुण्य क्या है और पाप क्या है? बहुतही लिखने का मन करता है। शब्द पुदगलों की भी कुछ मर्यादा है। भैय्या हमने श्री ऑल इंडिया जैन कॉन्फरन्स एवम स्वानंद  साहित्य भिशी के महिलाओं के लिए इस स्टडी टूर का आयोजन किया था।
बहुत ही आनंद लिया वहा की एक एक गॅलरी देख के बढा ही प्राऊड फील हुआ।फिरोदिया ग्रुपने जैन  तत्व को खुद मे उतार के राष्ट्र उधारणी के लिए बहुत बडा काम किया। 
     अभय प्रभावना के प्रोजेक्ट से जैन तत्वो को और भी उजागर किया । ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ l
आपकी अपनी बहना 

श्रीमती.शोभा बंब- स्वानंदा अध्यक्ष
           
 प्रा.सुरेखा प्रकाशजी कटारिया,
                                  नॅशनल एक्झिक्यूटिव्ह कमिटी मेंबर

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