अर्तध्यान

पर्युषणपर्व -द्वितीय दिन -स्तवन स्पर्धा  आर्तध्यान    2/09/2024  सोमवार
         
      गुरु परमात्मा को शतकोटी वंदन करते हुए हमारे आराध्य दैवत भ.महावीर स्वामी, आचार्य श्री आनंदऋषीजी महाराज साहब, आचार्य श्री शिवमुनीजी महाराज साहब, युवाचार्यजी श्री महेंद्रऋषीजी  महाराज साहब इन के चरणो मे त्रिवार वंदन करते हुए इस धर्म सभा मे आये सभी धर्म अनुरागी भाई और बहनों को  सादर जय जिनेन्द्र!  मेरे धर्मप्रेमी भाई और बहनो आज पर्युषण पर्व का 
ए सद्गुरु तेरी शरण
मीट जाये जनम और मरण
 बहु दुःख सहे कितने करम
  गहे अब तो सत्य पे चले चरण
 धन्य है आज की ये घडी
 आगम आवाज कानो पडी
 कैसे कर्म छले बंद कैसे टले
 इच्छा सुनने की आगे बळी
 मिटे भव भव के मन के भरम
 तोही ठहरेगा चित्त मे धरम
 नित्य वंदन करे मन मे श्रद्धा भरे
 होवे हलके हमारे करम
 ए सद्गुरु तेरी शरण मीट जाये जनम और मरण
उत्तर अध्ययन सूत्र के तिसरे अध्याय की पहली गाथा मे परमात्मा ने कहा है चत्तारि परमंगाणि दुल्लहाणीह  जंतुणो! माणूसत्तं सुई सध्दा; संजमम्मि य वीरियं  ll१ll  याने मनुष्य जन्मसे प्राप्त होता है l आर्य क्षेत्र उत्तम कुल की प्राप्ती है l यह पुण्य कर्म का उदय है lउसी तरह धर्मश्रवण उसे भी दुर्लभ है  याने मानव जन्म मिला धर्मपर श्रद्धा नही रखी और संयम से जीना जीने का पराक्रम नही किया तो आदमी मनुष्य जन्म होकर भी जैसा आदमी तिरियंच गती जैसा व्यवहार करता है हमारे घर में शांति कैसे लाएं हमारे घर में अशांति है इसीलिए हम महाबलेश्वर घूमने जाते हैं लेकिन वापस घर ही आना पड़ता है lहमारे सभी के फैमिली डॉक्टर हैl हमारे फैमिली गुरु है क्या? बच्चे बीमार पड़ते हैं तो डॉक्टर के पास ले  जाते है  और बिमारी का इलाज करवाते है उसी तरह संस्कार का संस्करण करणे हेतू बच्चों को गुरु के पास लेके जाना महत्वपूर्ण है   परमात्मा कहते हैं संसार यह म्यूजियम हैl चार गति के टिकट निकाल कर हम आए हैंl हम कौनसी गति में हैं?  मनुष्य गति इस संसार के म्यूजियम में भी वैलिडिटी खत्म हुई आयु खत्म हुई, ध्यान रखीये सबको  तो यहां से जाना हैl मुट्ठी बांधकर आए थेl हाथ पसरकर जाएंगेl जग विजेता सिकंदर पुरे जग को काबीज करने के लिए घुमता रहा फिरता रहा लेकिन उसके मा को मिलने के लिये से जाना था लेकिन इच्छा होकर भी वह नही जा सका उसके आयु की व्हॅलिडीटी खतम हो गई अंतिम क्षण मे पूछा आपकी क्या इच्छा है उन्होने कहा में सिकंदर होते हुए भी इस जगत से खाली हात जा रहा हू  जब मेरी अंतयात्रा निकलेगी तभी मेरे दोनो हाथ फैला कर बाहर ही रखीए ताकी पूरी दुनिया को पता लगे जगत जेता सिकंदर भी खाली हात आया था और खाली हात ही गया  हमे मनुष्य जन्म का यह व्हीआयपी टिकट मिला है मिलने के बाद भी उस जीवन का उपयोग एकेंद्रिय जीवन से पंचंद्रिय जीवन तक जीवन जीने के लिए सहाय्यता करनी  चाहिए मिलने इसीलिए ज्ञाता  दृष्टा बने देखो-जानो l समझो  अंतिम श्वास…खाली हात आया था खाली हात जा रहा हू l इसलिये भगवान ने कहा है यह मनुष्य जन्म मिला हैl आर्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्म ध्यान, शुक्लध्यान, अनुकूल सहयोगिनी संयोग नहीं मिला तो आर्तध्यान होगा 
कहानी—मेहमान आना....कामवाली आने वाली नहीं.....यह मेहमान क्यों आए है ?वह अतिथि होता है , सेवा करोगे तो मोक्ष का टिकट मिलेगा
क्रिया के साथ शुद्ध भाव होने चाहिए पुण्यानोबंधी का योग आनेपर प्रतिकुल योग आपकी माँ आयी तो हम सब करेंगे l अनुकूल संयोग मिलनेपर भी आर्तध्यान होता हैl प्रतिकूल व्यक्ति का सहयोग और प्रतिकूल का वियोग करने से ही आर्तध्यान होता है lआर्तध्यान
 वाला समस्या पर फोकस करता है  l एक ही बात पर नेगेटिव सोचना भगवान ने आगम में कहा है आर्त ध्यान  साइंन्स कहता है डिप्रेशन                 बड़े घर कर्मों का बंध 
छोटे घर पाप का कारण बच्चों को मोबाइल दिया तब उसके साथ उनको प्रोटोकॉल देना चाहिएl हमारे घर में सहवास में आए साधर्मी भाई बहन के साथ आनंद भाव से रहना आयी हुई आत्मा तीर्थंकर, गणधर, देवलोक से आयी होगीl
  लामन मत लगाओ l एक ही बात को रिपीटेशन करना यह इरिटेशन करता हैl अपने शब्द पुदगलों को मत खर्च करो lघर में आदमी बीमार है आपकी सामाईक नहीं हुई है तो आप बार-बार कहने से आर्त ध्यान होता हैl सेवा करना यह मोक्ष जाने का शॉर्टकट मार्ग हैl इसलिए  लामन मत लगाओ-
* बच्चों को खाने के लिए फोर्स किया आर्तध्यान
* बच्चों को होमवर्क के लिए फोर्स करना आर्तध्यान बच्चों को धर्म का महत्व समझावो  लेकिन बार-बार मत टोको टोकणा याने आर्तध्यान *अपना दुख रहा है बार-बार मत कहो अपने शरीर में साडेतीनसो करोड़ रोम है एक रोम में डेड करोड़ रोग है l  मेरा शरीर स्वस्थ होगा आर्त ध्यान करणे से हम तीर्यंच गती का टिकट रिझर्व करते

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