संवादातून सुसंवादाकडे व्याख्यान भिवरी
*संवादातून सुसंवाद*
*न हो फुलों की कीमत तो कही उपवन नही खिलते मनही हो मरुधर तो कही सावन नही खिलते मुझे लगता नही गुरुवर्य से उंचा है यहा कोई जहा गुरुवर्य होते है वही सब पाप कटते है*
*स्वर्गातून एकदा सावित्रीबाई*
1)तुम्ही होत्या मुख्याध्यापिका
2) तुम्ही खेळले सागर गोटे काचा कावड्या
3) साऊ ताई अहंकारी माणसाची चांगलीच
4) बायांनो अशीच राहू द्या विकासाची गती.
आपण नेमकं कुठं आहोत? काय करत आहोत? काय करायला हवं? याची जाण आणि भान खूप महत्त्वाचा आहे.
*जन्मलेना किसी के हात मे नही कोनसे घर मे जाये उसके हाथ मे *नही लेकिन अपना पुरुषार्थ आपकी खुद की पहचान बना सकता है इसलिये ऍक्टिव्ह पॉझिटिव्ह और क्रियेटिव्ह होना जीवन मे बहुत जरुरी है*
*धन मिलना भाग्यशाली धनसे स्वास्थ्य मिलना महा भाग्यशाली
धन शरीर स्वास्थ्य धर्म करने का अवसर मिलना व अहोभाग्यशाली धर्म जीवन की सास है*
कर्म जीवन का सत्य है
येशू जैसा प्रेम करो महावीर जैसे विवेक पूर्व जिवो राम जैसे मर्यादा से जीओ कृष्ण जैसे निष्काम कर्म करो धर्म का जन्म ही मानव जाती के शांति के लिए हुआ है*
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क्योंकि धनवान पंतप्रधान बन सकता है हे पंडित नेहरूजीने साबित किया
एक *गरीब* प्रधानमंत्री बन सकता है
ये *शास्त्री जी* ने साबित किया.।
एक *बुजुर्ग* प्रधानमंत्री बन सकता है
ये *मोरारजी* ने साबित किया।
एक *युवा* प्रधानमंत्री बन सकता है
ये *राजीव गांधी* ने साबित किया।
एक *औरत* प्रधानमंत्री बन सकती है
ये *इंदिरा गांधी* ने साबित किया।
एक *किसान* प्रधानमंत्री बन सकता है
*चौ. चरण सिंह* ने साबित किया।
एक *राजघराने* का व्यक्ति प्रधानमंत्री हो सकता है
ये *वी.पी. सिंह* ने साबित किया।
एक *शिक्षित एवं बहुआयामी* व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है
ये *पी.वी.नरसिंहा राव* ने साबित किया।
एक *कवि* प्रधानमन्त्री बन सकता है
ये *अटल बिहारी बाजपेयी* ने साबित किया।
*कोई भी* प्रधानमंत्री बन सकता है
ये *एच.डी.देवगौडा* ने साबित किया।
एक प्रधानमंत्री की *आवश्यकता* ही नहीं है
ये *डा. मनमोहन सिंह* ने साबित किया।
देश पर *बिना प्रधान मंत्री* बने भी शासन किया जा सकता है
ये *सोनिया गांधी* ने साबित किया।
परन्तु एक *चाय* बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है और *इन सबसे बेहतर कार्य कर सकता है* तथा *भारत माता का परचम पूरी दुनिया में लहरा सकता है* ये
*नरेन्द्र मोदी जी* ने साबित किया।
सारी *कायनात* लगी है एक शख्स
को *झुकाने* में... भगवान भी *सोचता* होगा,
जाने किस *मिटटी* का इस्तेमाल किया मैंने *"मोदी"* को बनाने में!!
JARA SOCHO...
.
जो व्यक्ति
यदि
अमरीका को *झुका* सकता है,
भूखे नंगे देश
*पाकिस्तान* में
*हडकंप*
मचा सकता है,
चीन जैसे *गद्दार* देश के
अखबारों की
*सुर्खियों* में आ सकता है
तो भाई
वह *भारत* को *विश्व गुरु*
बना सकता है
यह बात *पक्की* है!
*" देश की जरुरत है राष्ट्र को आप नही कुछ मोदी बनेंगे सोनिया बनेंगे मनमोहन सिंह बनेंगे देवगौडा बनेंगे महात्मा गांधी जयंती उसके लिए क्या करना चाहिए तो हमे विवेक रख के हमारे दिमाग से काम करना चाहिए दिल दिमाग और अपना मक्सद पुरा होगा तो जरूर हम आगे बढेंगे
जन्मलेना किसी के हात मे नही,
कोनसे घर मे जाये उसके हाथ मे नही ,
लेकिन अपना पुरुषार्थ आपकी खुद की पहचान बना सकता है ,
इसलिये ऍक्टिव्ह, पॉझिटिव्ह और क्रियेटिव्ह होना जीवन मे बहुत जरुरी है I
लोहा नरम होकर भी अवजार बनता हैl
सोना नरम होकर ही जेवर बनता है l
मट्टी नरम होकर ही मंगल कलश l
जब पैदा हुए तब दात थे या जीव्हा,
मरने के वक्त दात नही रहते l
नर्माई मे बोले, शालिनता आदमी की पहिली पहचान है l
काम ऐसा करो कि पहचान बन जायेl
कदम ऐसे चलाओ के निशान बन जायेl
उमर बचपन की हो या पचपन की हो मिसाल बन जाये l
आगम हमे सिखाते है दानव नही मानव बनो l
*यमुनाबाईचं गंगाबाई च कडाक्याचं भांडण झालं*
ध्यानचंद का नाम आप सबको पता होगा उनका ध्यानचंद नाम क्यों पड़ा क्योंकि वह चंद्रमा के करने में भी खेलते थे चंद्रमा के प्रकाश में बड़े लगन से क्रियाशील होकर वह खेलते थे। जब ध्यानचंद ने 1928 साल ओलंपिक खेलते हुए ध्यानचंद ने 16/ 1 से वह ओलंपिक मैं हॉकी जीती थी। दसवीं के 15 गोल अकेले ध्यानचंदने हीं कर थे । हिटलर खड़ा हुआ राग द्वेष से में से चिल्लाया है इसके हॉकी में चुंबक होगा चुंबक यह हॉकी तोड़ो देखो इसमें क्या है यह ऐसा हो ही नहीं सकता। इतने गोल हो कैसा कर सकता है। हिटलर ने उसकी हॉकी की स्टिक तोड़ी लेकिन उसमें कुछ नहीं निकला। उन्होंने ध्यानचंद को खाने के लिए आमंत्रित किया। आमने-सामने खाना खाने को बेटे ध्यानचंद आप हॉकी के बावजूद कुछ क्या कर सकते हो। हां मैं मिलिट्री में मेजर हूं। उनको बहुत अचरज लगता है। वो आगे कहते हैं तेरे देश ने तुझे क्या दिया? आगे बढ़ाने के लिए आप मेजर हो मेजर ही रहोगे। आओ आप जर्मनी के लिए खेलो तो आपको मैं मार्शल, कोर्ट मार्शल ऐसे ऐसे बड़े-बड़े पदो के लिए उसको ललकार। और एक वाक्य ही कहता था आपके देश ने आपको क्या दिया है? आप मेरे देश आओ मेरे देश के लिए खेलो मैं सब कुछ दूंगा। अपने देश ने क्या दिया है? उसे देशभक्त ध्यान ध्यानचंद ने क्या जवाब दिया सुनना है आपको? ध्यानचंद कहते हैं मेरे देश की जिम्मेदारी नहीं मुझे आगे बढ़ाने की मेरी जिम्मेदारी है मेरे देश को आगे बढ़ाने की। सारे जग के सामने ध्यान चंद आज भी याद है।
आपल्या सर्वांपुढे खूप मोठा टास्क आहे, तो म्हणजे आपल्या मुलांना सुसंस्कारित करणं. *धरलं तर चावतंय आणि सोडलं तर पळतय* अशी परिस्थिती आज मुलांची आणि आपली झाली आहे.
*चिंगी तुला शाळा आवडते ना हो आवडते पण सुटल्यावर*
*रेडिओ व टीव्ही मध्ये काय फरक आहे?*
स्त्री सुखाचा सागर
स्त्री प्रेमाचे आगर
स्त्री करुनेचे अंबर
स्त्री स्वर्ग सुखाचे द्वार
स्त्री निस्वार्थ भाव
स्त्री देवाचाही देव
तू अहिल्या
तू कौसल्या
तू मानिनी
तू कामिनी
तू दामिनी
तू मंदोदरी
तू कुंती
तू अवघ्या विश्वाची जननी
प्रत्येक नमस्कार तुलाच करणार तुझ्याच आशीर्वादाने हे जग चालत राहणार
ब्रह्मा विष्णू महेश जोडी तुला हात कारण तुझ्याचमुळे आहे हे विश्व उभे दिमाखात
अशा स्त्री अस्तित्वाला आपण सारे वंदन करूया दिमाखात.
*आई शोधलं तुला कुठे दिसत नाही तु मला*
*आम्ही अजूनही शिकतोय !*
*दोन्हीची कॉकटेल बनवली तर आयुष्य सुखाचे होईल !!*
आधीच्या पिढीकडून *पैसे वाचवायला शिकलो;*
नंतरच्या पिढीकडून *पैसा वापरायला शिकतोय.*
आधीच्या पिढीकडून सहवासाने *नाती जपायला शिकलो;*
नंतरच्या पिढीकडून *डिजिटली नवीन नाती जोडायला* शिकतोय.
आधीच्या पिढीकडून *मन मारून जगायला शिकलो;*
नंतरच्या पिढीकडून *मन भरून जगायला* शिकतोय.
आधीच्या पिढीने, *Use and use more* मधली उपयुक्तता शिकवली;
नंतरच्या पिढीकडून *Use and throw* मधली नावीन्याची *गंमत अनुभवायला* शिकतोय.
आईकडून पिकनिकलाही *घरच्या पोळीभाजीची लज्जत अनुभवायला* शिकलो;
मुलांकडून *घरात असतानाही पिकनिक एंजॉय करायला* शिकलोय.
आधीच्या पिढीबरोबर *निरांजन लावून दिवा उजळून वाढदिवस साजरा केला;*
नंतरच्या पिढीबरोबर *मेणबत्ती विझवून अंधार करून वाढदिवस साजरा करायला* लागलो.
आधीच्या पिढीने बिंबवले, *घरचेच लोणी सर्वात उत्तम;*
नंतरची पिढी पटवून देत आहे, *अमूल बटरला पर्याय नाही*.
थोडक्यात काय, *आधीच्या पिढीने शिकवले, अधिक वर्षे कसे जगायचे ते;*
तर नंतरची पिढी शिकवत आहे, *मरणापर्यंत आनंद घेत कसं जगायचं ते !!*
दोन्हीच कॉकटेल बनवल तर आयुष्य सुखाच होईल
*मुलगा म्हणाला आईला दिव्याची वात उंच कर*