*नवरात्र का पवित्र त्योहार*13/10/2021----------------------------- हिंदू धर्म और जैन धर्म मे नवरात्रि दशहरा ये पवित्र दिन कहे जाते हैl ये साधना के लिये, मंत्र साधना के लिये अति महत्वपूर्ण दिन है . इस दिन श्रावक श्राविका - गुरु ,संत,संतीया ध्यानधारणा, तप, जप, मौन रख के अध्यात्मिक ढंग से ये नवरात्र पर्व, दिवाली पर्व, आयंबिल ओली मनाई जाती है. हिंदू धर्म मे नवरात्र के ये प्रसंग देवी मा की उपासना के लिये है. नवरात्री पवित्र तम दिन कहे जाते है. असोज चैत्र महिने मे आती है. साधना के लिये ,मंत्र साधना के लिये ब्रह्मचर्य के लिये, इष्ट की सिद्धी के लिये अंतरत्तम शक्तियों को जगाने के लिए आच्छा कोई हासिल करने के लिए रहती है .समजदार हिंदू और समजदार जैन श्रावक, श्राविका, संत, ऋषी इस दिनो मे साधना में बैठते है. मौन रहते है ,ब्रह्मचारी का पालन करते है, आगे बढकर शक्तियों को साधते है, देवी माता की आरती करना घटस्थापना करना, उसका गुनगान करना, स्तुती करना. ये करते. महिला एक तरफ, पुरुष एक तरफ, पुरुष-पुरुष जगह पर, महिला महिलां के जगह पर, देवी माता को सामने रखते है. माता के सामने बैठा के हात से गर्भी लेते ये परंपरा थी नवरात्री की. गुजराती स्टाइल मे दांडिया आ गई .बहने बहनों मे खेलते थे. भाई भाई मे खेलते थे. खानपान का ध्यान रखते. ऊस दिनो मे कोई शराब नही पिता, गुटका नही खाता, चाय भी नाही पिते थे .अलग अलग शयन रहता पती-पत्नी ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते. शुद्धता प्राप्त करते. और इतने सारे भोग विलास के बीच मे, इतने सारे विषय वासना के बीच मे कोशिश करते. कुछ दिन पवित्रता के साथ मे बीताये. माताजीका सान्निध्य प्राप्त करके हम शक्तिसंपन्न बनने के लिये उनके आशीर्वाद सफल होने के लिए नवरात्र का पवित्र व्रत रखते है l गर्भे गये ,दांडीया आयी, गयी डिस्को आया दुनिया आई,नाना प्रकार के गायक आये , कई कंपन्या आयी. काही संस्थाये इनो ने धन कमाना शुरू कर दिया दांडिया के अलग अलग बडेबडे कार्यक्रम होने लगे जी लाल चाने लगे देवी मा एक तरफ रही, साधना एक तरफ रही, पवित्रता एक तरफ रही . घटस्थापना एक तरफ रह गयी. गर्भा लेने का भाव एक तरफ रहे गया. देवी मा को रिझाना, मातृशक्ती को जगाना, एक तरफ रह गया l आज दांडिया खेलनेवालो से किसको क्या पता है? साधना क्या है? ब्रह्मचर्य क्या है? ये क्यू है? नवरात्री दशहरा इसका हेतू क्या था? इस का रीजन क्या था? दांडीया खेलनी चाहिये या नही खेल नही चाहिये? तो इस्का रीजन क्या है? ये मेरा नही, भारत के कई अखबारों का, कई सारे सामाजिक संस्थाओंका , सारे समाज विधाओका, कई सारे अन्य सामाजिक संस्थाओका, सर्वे समय समय पर बता रहा है. नवरात्रि के एक दो महीने के बाद जो दस महीने मे गर्भपात नही होते. उतने गर्भपात होते है. ये व्याभीचार नही है? क्या है दुराचार नही है? तो क्या है? दसहरे के दिन रावण को जलाया जाता है . जैन रामायण के अनुसार रावण का पात्र बहुत बुद्धिशाली विद्याधारी इन्सान थे । रावण कोई राक्षस नही था अपितु उनका वंश राक्षस वंश था। और तो और चारित्रवान थे । उनका यह प्रण था की पराई स्त्री को उसकी ईच्छा के विरुद्ध हाथ नही लगाऊंगा । जो उन्होंने सीता देवी को स्पर्श नही किया जैन रामायण २० वे तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रत स्वामीजी के समकालीन थे । रावण जैन श्रावक था । वो अष्टापद पर भगवान की भक्ति करने जाता था । एक बार भक्ति करते करते उनकी पत्नी मंदोदरी भक्ति भाव से संगीत पर नृत्य कर रही थी तब वाद्य का तार टूट गया तब भक्ति में विक्षेप न पड़े इसलिए अपने पांव की नस काटकर तार की जगह जोड़ कर प्रभु भक्ति जारी रखी, जिस कारण तीर्थंकर नाम कर्म गोत्र बांधा और १४ वे भव में मुक्त होकर तीर्थंकर बनेगे । ऐरावत क्षेत्र में तीर्थंकर बनेगे वर्तमान में नर्क वास भोग रहे है । ऐसे रावण को बुरा बताकर हम उनका पुतला कैसे जला सकते है । यदि विजया दशमी के दिन कुछ जलाना है तो, हमारे शरीर, मन के अंदर रहे अहंकार, क्रोध, आडम्बर, हमारे अंदर रहे बुरे विचारो को, बदले की भावना को, किसी को निचा दिखाने की प्रवृति, किसी की निंदा करने की, अपने से निर्बल के तांडन करने की वृति, बड़े बुजुर्गो के तिरस्कार करने की वृति को जलाना होगा तो हमारा मन, शरीर निर्मल होगा और आत्मा की मुक्ति होगी उसको जलाने के पहले अपने दिल मे राम, महावीर बसा लो. अंदर की मोह, माया, क्रोध हटाने हेतु नवरात्र महापर्व, अंयबील ओली करो , दसरा केहता है ,सोना लो सोने सरिखा रहो l अहिंसा के मार्ग पे चलने वाला हिंदू धर्म, जैन धर्म संभालने के लिये सवारने के लीये इस पर्व मे अनुचित प्रकार न घटे इस का ध्यान रखना बहुत जरुरी है .इसीलिए इस अध्यात्मिक पर्व को मनाते समय अनुचित प्रकार न घटे इस का ध्यान रखना याने हमारे संस्कार और संस्कृती को बढावा देना हमारा फर्ज है.

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